Friday, July 3, 2009

पूछूं क्या ??


हाथ हाथो मे लेके पूछते हो , पूछूँ क्या?
सब ले कर मेरा कहते हो , कुछ मांगूँ क्या ?

बेचैन होके कहना , तुमको मेरी पहचान नहीं
अपना आइना तुम्हे दे दिया, और अब मैं दूं क्या ?

रफ्ता रफ्ता राजों को मेरे ज़ब्त कर लिया ..
हाय! फिर कहना अनजान का , मै तुम्हारा हूँ क्या ?

मेरी धड़कन सुनते हो , साँसें भी गिनते हो ..
और ये कैसा सवाल ? मै तुम्हे छूं क्या ??

मेरी शब् ओ सहर हो गुज़र , तेरी बातों में !
और तुम कहो मुझसे, तुमसे आके मिलूँ क्या ?

कितनी बार इन आँखों ने सुनाई दास्ताँ ..
और तुम हो की पूछे जाते हो ,है आरजू क्या ?

तुम्हे क्या खबर सुकून इस नज़र का तुम हो !
वर्ना किसे यहाँ खबर थी है खुशबू क्या ?

न पूछना अब की बार कहाँ हो , कैसी हो
तुम हो तो सब प्यारा है , आँसू क्या , लहू क्या !!

1 comments:

Amit July 3, 2009 at 5:49 AM  

Dude.. Bahot hi badhiya poem hai.. :)

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